ओ मेरी बेहना !
भीगी ज़ालिम राहों पर
तेरे साथ चलूंगा मैं
हर मुश्किल इरादों में
तेरे साथ लड़ूंगा मैं
कभी दोस्त, कभी ज़ुनून बन
तुझमें ही रहूँगा मैं
जब भी धूप आएगी
झिलमिल बूंदें बन तेरे लिए ही आऊँगा
तेरे अश्कों को अपने ही समझ
मैं पी जाऊँगा
सुरमई रात में भी बनके सितारा
तुम्हें सही रास्ता दिखाऊँगा
इसलिए दर्द दिल में चाहे कितने भी होंगे
बिन हया, तुम सभी मुझसे बाँट लेना
लेके मेरे पलकों के सायें
दो पल हंसी के, तुम साथ मेरे काट लेना
चिट्ठी-तारों में हो ना हो
बातों में मेरे ज़िक्र तेरा ही होगा
मेरे दिल के चाहे तुम सौ टुकड़े कर लेना
हर हिस्से पे नाम तेरा ही होगा
इसलिए हमेशा यह याद रखना
चाहे मैं तुमसे लड़ भी लूं
या बिन जाने तुम्हें कोई दर्द भी दूं
फिर भी मेरी इन बातों का तुम स्वाद रखना
हवा का झोंका बन
जिंदगी में तेरे आउंगा
अपनी हर ख़ुशी कुर्बान कर भी
तेरे लिए हर ख़ुशी लाऊंगा
ओ मेरी बहना!
तेरी हर राखी का क़र्ज़ मैं चुकाऊंगा
किसी भी मोड़ पे, कितनी भी क़ीमत पे
एक भाई का हर एक फ़र्ज़ मैं निभाऊंगा।
Rahul Saha
B.Tech III